मॆं रहूं अपने ऒर तुम रहो अपने छत पर। आओ आ जाने दो,प्यार के सपने छत पर। हो गई मॆली बहुत हॆ यह दुनिया की जमीं, आ चलें हम ये जहां छोङके बसने छत पर। धीरेन्द्र सिंह 'विभु' बसने छत पर..