शिक्षण संस्थाओं को पंथनिरपेक्ष इस संस्था का दर्जा संविधान की देन है इसमें सभी शिक्षण संस्थाओं से पंथनिरपेक्ष रहकर शिक्षण कार्य करने की अपेक्षा की गई है शायद ही कारण होगा कि शिक्षण संस्थाओं में यूनिफॉर्म लागू की गई ताकि शिक्षा देने वाले और शिक्षा ग्रहण करने वालों को एक दूसरे के धर्म का पता ही ना हो इस रिश्वत का आधार सिर्फ मानवता बने ना कि कोई धर्म या जाति या सिर्फ समुदाय हिजाब को लेकर कुछ कर्नाटक में घटित हुआ है बहुत दुखद है ऐसी घटना पंथनिरपेक्ष सोच का ठोस पहुंचा रही है भारत हमेशा से गुटनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष जैसे सिद्धांतों को प्राथमिकता देता रहा है स्कूल और कॉलेज में ड्रेस कोड या यूनिफॉर्म का शाब्दिक अर्थ ही है कि सभी विद्यार्थी एक जैसे दिखे ना कि विद्यार्थियों की पहचान उनका धर्म या महज बने अगर संविधान ने सभी शिक्षण संस्थाओं को पंथनिरपेक्ष ही माना है तो किसी धर्म विशेष की ऐसे पहनावे को यूनिफॉर्म का हिस्सा बनाया जाए न्याय संगत यह संविधान सम्मत विचार नहीं माना जा सकता विद्यार्थी को शिक्षण संस्थाओं में एक जैसा व्यवहार मिले उसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक विद्यार्थी की धर्म और महज ऐसी जानकारी गुप्त रखी जानी चाहिए अगर सभी धर्म के विद्यार्थी अपने अपने धर्म के अनुसार शिक्षण संस्था में पहनावा धारण करने लगेंगे तो इसे संविधान के पंथनिरपेक्ष सोच को ही नुकसान पहुंचेगा ©Ek villain #हिजाब मामले में अब न्यायालय पे विश्वास #promiseday