मेरी दोस्त मेरी साथी मैं अक्सर अब तन्हा होती हूं तो भी आपके साथ होती हूं, रोती हूं तो भी आपको याद करके मुस्कुरा लेती हूं, कोई तकलीफ होती हैं तो लगता है आपको बताऊं, फिर लगता है आपको क्यों में मेरी उलझने बता कर सताऊं... आपसे मिले हुए आज पूरे 2 महीने और 4 दिन हो गए, हर एक दिन का हर एक घंटा हर एक घंटे का हर मिनट और हर मिनट के एक एक लम्हें में आपकी याद आई, आपको बहुत परेशान कर दिया न मैंने जब जब अधूरी छोड़ दी मैंने बातें और आगे आपको नही बताई.... माफ कर दीजिएगा जब जब मैंने आपको सताया और आपके लिए खिड़की नही खोली जब आप खट खटाई... पता है कुछ ठीक नहीं हो रहा है शायद मेरे अंदर जो बार बार न उतनी ही तकलीफ पहुंचाता है.... और मैं जानती हूं सब कुछ फिर भी उसी बात पर पता नही रोना इतना बार बार क्यों आता है... आप कहती हैं न की आप है तो मन हल्का हो जाता है, पर अकेले होती हूं ना तो फिर आपका कमी खल जाती हैं, आप साथी हैं मेरी मैं जानती हूं पर दूरियां ना फासले ले ही आती हैं... मन अक्सर आपसे बहुत कुछ कहने का होता है, पर बात कही रह ही जाती हैं.... पर हां आपकी गलती नही है कोई इसमें आपके पास तो जब वक्त होता है आपका फोन आता है... मेरे ही अन्दर और बाहर इतना कुछ चल रहा है न की मन कभी कभी बहुत अकेला हो जाता हैं.... और तब बस हमको न मेरी दोस्त मेरी साथी की बहुत याद आ जाती है.... मेरी दोस्त मेरी साथी.... I miss you too #स्नेह_के_साथी #साथी #seemuneha #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqhindi #yqhindiwriters