कर्क जिसकी रीढ़ बनी । नर्मदा जीवन-रेखा । शिप्रा की पावनता जंहा। ऐसी सुंदरता और कंहा ? है कालिदास महान यंहा । कवि प्रदीप की कल्पना जंहा । लता के सुर घुल रहे । व्याकुल ताल से मिल रहे । ऐसी महानता और कंहा ? संगमरमर की छाती चिरकर बह रही रेवा कल-कल गा रही प्यारी बुलबुल ऐसी मधुरता और कंहा ? वन्दन करते है । इस धरा को ह्रदयप्रदेश है ,जंहा । मध्यप्रदेश है , जंहा । मध्यप्रदेश स्थापना दिवस मध्यप्रदेश