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एक आग धड़कती है दिल में... अंगारों का ज्वार है...

एक आग धड़कती है दिल में...
अंगारों का ज्वार है...
कभी खुद से, तो कभी खुदा से लड़ता हूँ।
ना जाने किस शांति की तलाश है...
माफ़ करूँ तुझको कैसे?
ना जाने तू भी किसी साज़िश का शिकार है।
तू है सबका स्वामी,
पर मेरी लड़ाई तुझसे ही तो है।
ना जाने कब तक चलेगी,
जब तक तू है,
या जब तक,
इस नश्वर शरीर में प्राण है।

©kavi Abhishek Pathak #God
एक आग धड़कती है दिल में...
अंगारों का ज्वार है...
कभी खुद से, तो कभी खुदा से लड़ता हूँ।
ना जाने किस शांति की तलाश है...
माफ़ करूँ तुझको कैसे?
ना जाने तू भी किसी साज़िश का शिकार है।
तू है सबका स्वामी,
पर मेरी लड़ाई तुझसे ही तो है।
ना जाने कब तक चलेगी,
जब तक तू है,
या जब तक,
इस नश्वर शरीर में प्राण है।

©kavi Abhishek Pathak #God