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लोगों की जिंदगी हो रही बेहाल है हर हाल जीना दुष्वा

लोगों की जिंदगी हो रही बेहाल है हर हाल जीना दुष्वार हैं
ऐसे में कुछ लोगों के लिये मेरे शब्दों का प्रहार हैं

इतना कोई कैसे बना निर्दयी और हैवान हैं
लोगों को लुट  रहे राशन वाले जैसे कर रहे महान काम हैं

कैसे न तुम्हें लगता कि ये कर रहे महापाप हैं
किसको पता अब की कितनी जिंदगी अब और हैं

ऐसे में तुम क्यों कर रहे ऐसा घिनोना जो काम हैं
क्या तुम्हें लगता है कि तुम कर रहे उससे होगा सबका कल्याण है?

कहते हो जब तुम बड़ी बड़ी बातें की देश की सेवा के लिए हम हरहाल तैयार हैं
फिर आज कैसे तुम्हारे इन शब्दों का दिखा ऐसा परिणाम है

आज कैसे तुम इतना गिर गये हो सारी इंसानियत को ही भूल गये हो
अब जानवरों के बराबर भी तुम कहाँ रह गये हो

सरकार अपनी आज मुझे अपँग ,अपाहिच लग रही हैं
लूट के दौर में वो साथ के साथ दिखावा अंधेपन का कर रही हैं

भाषणों की गड़गड़ाहट से मुँह कैसे फेर गये है ऐसी हालत में
खतरे की घण्टी जब बजी देश में हाथ सबने ऊपर कर दिये है कैसे

जहाँ देखो बस लूटमारी दिख रही आमजनता शोषण का शिकार कैसे बन रही
आज बेरोजगार गरीब इंसान महँगाई में पीस रहा उसका जीवन दो रोटी को तरस रहा

कैसे कोई अपनों का इलाज कराये नेता लोग भूखे मर रहे रुपयों के भंडार के लिये
उनका काला बाजारी कैसे मन्द हो जाये ये चिंता बस उन्हें सताये

भृष्ट आचरण लोगों में पनप रहा हर इंसान आज बदल रहा
इंसानो को आज इंसान फिर से लूट रहा जिंदगी तो कुछ पल की कब पलट जाये ये भी वो बस भूल रहा

©lavnya94 #भृष्टआचार#कोरोना#महामारी#बेईमानी#गरीब#परेशानी#जिंदगी#निर्दयी#भुखमरी#महँगाई
लोगों की जिंदगी हो रही बेहाल है हर हाल जीना दुष्वार हैं
ऐसे में कुछ लोगों के लिये मेरे शब्दों का प्रहार हैं

इतना कोई कैसे बना निर्दयी और हैवान हैं
लोगों को लुट  रहे राशन वाले जैसे कर रहे महान काम हैं

कैसे न तुम्हें लगता कि ये कर रहे महापाप हैं
किसको पता अब की कितनी जिंदगी अब और हैं

ऐसे में तुम क्यों कर रहे ऐसा घिनोना जो काम हैं
क्या तुम्हें लगता है कि तुम कर रहे उससे होगा सबका कल्याण है?

कहते हो जब तुम बड़ी बड़ी बातें की देश की सेवा के लिए हम हरहाल तैयार हैं
फिर आज कैसे तुम्हारे इन शब्दों का दिखा ऐसा परिणाम है

आज कैसे तुम इतना गिर गये हो सारी इंसानियत को ही भूल गये हो
अब जानवरों के बराबर भी तुम कहाँ रह गये हो

सरकार अपनी आज मुझे अपँग ,अपाहिच लग रही हैं
लूट के दौर में वो साथ के साथ दिखावा अंधेपन का कर रही हैं

भाषणों की गड़गड़ाहट से मुँह कैसे फेर गये है ऐसी हालत में
खतरे की घण्टी जब बजी देश में हाथ सबने ऊपर कर दिये है कैसे

जहाँ देखो बस लूटमारी दिख रही आमजनता शोषण का शिकार कैसे बन रही
आज बेरोजगार गरीब इंसान महँगाई में पीस रहा उसका जीवन दो रोटी को तरस रहा

कैसे कोई अपनों का इलाज कराये नेता लोग भूखे मर रहे रुपयों के भंडार के लिये
उनका काला बाजारी कैसे मन्द हो जाये ये चिंता बस उन्हें सताये

भृष्ट आचरण लोगों में पनप रहा हर इंसान आज बदल रहा
इंसानो को आज इंसान फिर से लूट रहा जिंदगी तो कुछ पल की कब पलट जाये ये भी वो बस भूल रहा

©lavnya94 #भृष्टआचार#कोरोना#महामारी#बेईमानी#गरीब#परेशानी#जिंदगी#निर्दयी#भुखमरी#महँगाई
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