मैं कभी; बतलाता नहीं पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ यूँ तो मैं; दिखलाता नहीं तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ इक दफ़ा; यूँ ही देखे तू मुझे पिघल के बस मुस्कुराता हूँ माँ देख लूँ; आंसू तेरी आँखों में सहम के खुद थम जाता हूँ माँ मुझको यूँ; दूर रख के तू कैसे करे लाड़ मेरा तू माँ गिर गया; कहीं यूँ ही जो मैं मलहम कैसे लगाए तू माँ क्या इतना बुरा; हूँ मैं माँ क्या इतना बुरा...मेरी माँ ! - CalmKazi & Prasoon Joshi One more entry to the #तज़मीन Challenge inspired by Saket Garg's and Shubhi Khare's quotes on #mother. Thanks to Ayena ma'am and Sudhanshu sir for creating this challenge This one is inspired from the famous Prasoon Joshi penned song "माँ" from Taare Zameen Par. 1st 4 and last 2 lines are from the song. Rest is my own creation. Dedicated to my mother. माँ मैं कभी; बतलाता नहीं पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ