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" कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे , मेरी इस खामोश

" कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम " कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम 

#ख्याल #खामोशि #चेहरा
" कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम " कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम 

#ख्याल #खामोशि #चेहरा