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लिखूँ मैं रात, खाली हाथ,अंधेरा वही यादों के पलछीन

लिखूँ मैं रात, खाली हाथ,अंधेरा वही
यादों  के पलछीन, लमहात, गुज़ारा नहीं
बातों में निकल आई है बात,बसेरा कहीं
मेरे उजाले दिन, कायनात, सवेरा सही
दिल से निकले एहसास, सबकुछ, तो मेरा नहीं
आहों में लिपटे हुए,अल्फाज, सीने में रख लू कहीं
की लिखू मैं रात, खाली हाथ...अंधेरा वही

©paras Dlonelystar
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