Alone दिलफेंक कवि हूँ या बदनाम शायर हूँ, सच्चा किरदार हूँ या सिर्फ एक कायर हूँ, खुलकर जीता हूँ या हार चुका हूँ सफ़र से, सब समझता हूँ या अनजान हूँ हर खबर से, उलझनों में उलझा हूँ या सुलझना चाहा ही नहीं, सब मिला मुझे या कुछ खास कभी माँगा ही नहीं, उम्मीदों का सूरज हूँ या नाउम्मीदी का अंधियारा हूँ, सँभालता हूँ खुद को या औरों की तरह ही बेचारा हूँ, बर्बादी मंज़िल है मेरी या ख्वाब कोई मुझमें भी जिंदा है, बेड़ियों में जकड़ा हूँ या आज़ाद मेरे अरमानों का परिंदा है, जीता जो भी खुद को हार कर या अब भी खुद से मिलता हूँ, नासूरों से ही दोस्ती हो गई या अब भी अपने ज़ख्म सिलता हूँ, 🙏पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें🙏 (Full piece in the caption) दिलफेंक कवि हूँ या बदनाम शायर हूँ, सच्चा किरदार हूँ या सिर्फ एक कायर हूँ, खुलकर जीता हूँ या हार चुका हूँ सफ़र से, सब समझता हूँ या अनजान हूँ हर खबर से, उलझनों में उलझा हूँ या सुलझना चाहा ही नहीं, सब मिला मुझे या कुछ खास कभी माँगा ही नहीं,