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इंसानियत का धर्म यही कहता, गिरे हुए का तुम सहारा ब

इंसानियत का धर्म यही कहता, गिरे हुए का तुम सहारा बनो।
ख़ुद हार जाओ जंग में, पर डूबे हुए का तुम किनारा बनो।। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★

★ आज का विषय :- 'इंसानियत का धर्म' 

★ इस विषय पर सुंदर अक्षरों में 2 पँक्तियों में कविता लिखने का प्रयास करें।

★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा।
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इंसानियत का धर्म यही कहता, गिरे हुए का तुम सहारा बनो।
ख़ुद हार जाओ जंग में, पर डूबे हुए का तुम किनारा बनो।। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★

★ आज का विषय :- 'इंसानियत का धर्म' 

★ इस विषय पर सुंदर अक्षरों में 2 पँक्तियों में कविता लिखने का प्रयास करें।

★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा।
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