तेरी मेरी अनबन दूर करते हैं एक दूसरे की गलती कबूल करते हैं थक सि गई में दिखावा करते तुमसे रूठना अब मुझे काटें से चुभते पर गलती बस मेरी नहीं है तुम्हारा चुप होना भी सही नहीं है याद तो बहत करती हूं में क्या तुम्हे पता नहीं चल रहा है अगर मैं रूठी तो तुम मनाए क्यूं नहीं हर बार मनाना क्या मेरा सही है छोड़ो जो हुआ कुछ अच्छा नहीं था क्या मेरी प्यार तुमसे सच्चा नहीं था ना जाऊंगी तेरे दरबार मैं इस बार तू ही आना मेरे पास मैं मानती हूं हार #yqbaba#omsai#yqdidi#yqquotes#yqhindi