"अगर परमात्मा की खोज करनी है तो अपने व्यवहार में देखें, "तुम कितने सौम्य कितने प्रेम पूर्ण, कितने दयावान, परोपकारी हो,तो तुम्हारे अंदर परमात्मा है। अगर तुम अध्यात्म के रास्ते में हो तो "तुम प्रेम से विरूट नहीं हो सकते, 'बल्कि और प्रेम पूर्ण होंगे। "क्योंकि जब तुम परमात्मा को अपने भीतर महसूस करोगे तो। 'स्वार्थ वाला प्रेम समाप्त हो जाएगा।और सिर्फ सबको देने वाला प्रेम शुरू हो जाएगा। 'चाहे वह मां-बाप को देना। समाज को देना हो। या देश को देना, प्रेमी या प्रेमिका को देना हो, "तब निस्वार्थ भाव वाला प्रेम तुम्हारे अंदर से जागेगा, "तुम और प्रेम पूर्ण बनके उभरोगे, तो तुम्हारे अंदर परमात्मा की छवि होगी,, "जब भी तुम किसी से क्रोध में व्यवहार, करते हो तो 'किस हद तक जाते हो। "अपने से ज्यादा सामने वाले की परवाह' करते हो। जब भी तुम्हें कोई भी बेसहारा दिखता है। तुम्हारे मन में दया के भाव उमड़ते। तो तुम्हारे अंदर परमात्मा की छवि है। कुछ पल देकर इन पंक्तियों को जरूर पढ़ें। माना आपका वक्त बहुत कीमती है । कुछ पल ठहर कर इनको भी पढ़ लीजिए। कुछ खास तो हो नहीं पाएगा । पर परमात्मा सब के भीतर है। तुम्हारे मेरे हर जगह व्याप्त है। क्या पता चंद्र पल देकर उसको महसूस कर लोगे। #yqhappybirthday #loveallaround