कही हमसफ़र तो कही जीवनसाथी कही गुलाब तो कही अपनी लाडली कही बदमाश ,तो कही पागल लिखता हूँ प्रेम का अपने मैं नाम लिखता हूँ करके खुद को पूर्णतः उसका मैं स्वयं को अब आबाद लिखता हूँ निभाना हो तो निभाना उम्र भर प्यार को मेरे सारी ख्वाहि़श,सारे अरमां ,चाहत तेरी दिल में बेसुमार रखता हूँ झांक कर देखना कभी दिल में मेरे लग कर गले महसूस करना धड़कनों को सिर्फ़ तुम,सिर्फ तुम,बस तुम हर जगह कोई और नही बस सिर्फ कवि तुम मिलोगे मेरी जिंदगी हो तुम,मेरी दुनिया हो तुम और तेरे कदमों में ही खुद को निसार लिखता हूँ! मैं मराठा ,प्यार मेरा राजपूताना है पहचान खो चुका क्षत्रिय मैं,तुम अमर ,आबाद क्षत्राणी एक प्यार किया तुमसे बेइंतेहा सोचा एक अमर प्रीत कहानी लिखेंगे खुद को एक बाजीराव तुमको अपनी मस्तानी लिखेंगे