हमारा बचपन उन टूटही लालटेनों के साथ गुजरा है। जहाँ कलम और खड़िया के घोल से भरी दवात एक-एक अक्षर रोज सिखाती थी और 25 पैसे की टॉफी सब यारों में बँट जाती थी। -सुनील चौधरी #बचपन #लालटेन #खड़िया और पट्टी