धरा उमगाए धमकत चले श्यामजू को सागर उठाए लहरन पै चलत है दंभ को दलै गोबरधन धामजू को इंदर पुरंदर शरन हो भजत हैं मान मर्दन कियो मतुल वा कंस हूं को राधिका की तर्जनी पै हाय लरजत हैं चंचल सुभग सुमनोहर सुकामजू को भगतन की रीति भगवान हूं भजत हैं #toyou #yqlove #yqaestheticthoughts #yqkrishnalila #yqdevotion #yqdeliverance