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पागलपन में क्या बतलाऊं न जाने क्या-क्या भूल गया त

पागलपन में क्या बतलाऊं न जाने क्या-क्या भूल गया
 तुझसे मिलकर लौट रहा था कि घर का रस्ता भूल गया 
क्या सोचेंगे क्या समझेंगे लोगों की चिन्ता छोड़ दिया 
तेरा चेहरा याद रहा बस, ज़माना सारा भूल गया 
ठण्ड के मौसम में आई अदला-बदली राश मुझे 
तेरी टोपी जब से मिली है अपना मफ़लर भूल गया 
तूने ज़ब याद किया तो गोरखपुर तक़ आ-पहुँचे 
मिलते ही इतने बेताब हुए कि पर्दा-वर्दा भूल गया ye dosti
पागलपन में क्या बतलाऊं न जाने क्या-क्या भूल गया
 तुझसे मिलकर लौट रहा था कि घर का रस्ता भूल गया 
क्या सोचेंगे क्या समझेंगे लोगों की चिन्ता छोड़ दिया 
तेरा चेहरा याद रहा बस, ज़माना सारा भूल गया 
ठण्ड के मौसम में आई अदला-बदली राश मुझे 
तेरी टोपी जब से मिली है अपना मफ़लर भूल गया 
तूने ज़ब याद किया तो गोरखपुर तक़ आ-पहुँचे 
मिलते ही इतने बेताब हुए कि पर्दा-वर्दा भूल गया ye dosti