ऐ ज़िदगी मैने तुझसे बहुत कुछ सीखा है , ऐ ज़िदगी मैने तुझसे बहुत कुछ सीखा है चलना सीखा है गिरकर सम्भलना सीखा है , जज़्बात को रखकर काबुमे मकसद की ओर बढ़ना सीखा है, न किए ख़रीदो फरोख्त जज़्बात कभी ऐसा व्यापार करना सीखा है, ग़म लेकर ज़माने के खुशिया देना सिखा है जो लोग टोड़ देते थे मेरा हौसला ,ओर रहती थी जिन की मेरी बुलन्दी पर नज़र ऐसे लोगो को नज़रअंदाज़ कर, मैने आगे बढना सीखा है न पढ़ी हिकमत मैने कभी न मे किसी हकीम की सोहबत मे हूँ कभी बैठा मैने तो ज़हर पीकर दवा बनाना सीखा है न मारा हक कभी किसी का न खाया कभी हराम का हालात ए गुरबत मे भी मैने तो खुद्दारी से जीना सीखा है ऐ ज़िदगी मैने तुझसे बहुत कुछ सीख है ऐ ज़िदगी मैने तुझसे बहुत कुछ सीख है -Hasan Hassas #HasanHasssas shayari