मेरी एक भूल ही जीवन का बहुत बड़ा सबक सिखला गई,अपनों पर किया गया अंधविश्वास से मुझे भली-भाँति जगा गई,हर रिश्ते को निस्वार्थ पूर्ण सम्मान देकर मैंने हर किरदार का मान रखा बदलते वक्त के संग बदलते अपनों के व्यवहार ने मुझे जाने कितना लजा दिया..?कहना मुमकिन नहीं सामने किसी के जब बात अपनों के किये गये मेरे प्रति व्यवहार की आती है, रिश्तों में बढ़ती भरपूर दूरी अक्सर मन को मेरे तार-तार कर जाती है,सोचते-सोचते खो जाना मेरा नसीब ऐसा तो इसमे मेरा क्या दोष..? यही समझाने की तमन्ना में जीवन मैं अपना गुजार रही,रोना आता अक्सर मुझे मिला मुझे जीवन एक बेटी का तो इतना दुख सहना मेरे भाग्य में क्यों मिला,छिन गया पिता का साया फिर भी मुझ पर किसी को रहम न आता बोझ बने जीवन में जाने क्यों मुझे सुकून भरा एक लम्हा क्यों न मिल पाता..? ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1107 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।