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मेरे ख़यालों का गुलिस्तां विरान है कब से, कहाँ हो त

मेरे ख़यालों का गुलिस्तां विरान है कब से, कहाँ हो तुम

धूप धूप है ये ज़िन्दगी मेरी
नही छुपा बादलों में आसमां कब से, कहा हो तुम

लौट आओ किसी रोज़ की कोई सहर हो ऐसा
नही मिला मुझको तुझसा आसना कब से, कहा हो तुम लौट आओ किसी रोज 
#शायरी #shayari
मेरे ख़यालों का गुलिस्तां विरान है कब से, कहाँ हो तुम

धूप धूप है ये ज़िन्दगी मेरी
नही छुपा बादलों में आसमां कब से, कहा हो तुम

लौट आओ किसी रोज़ की कोई सहर हो ऐसा
नही मिला मुझको तुझसा आसना कब से, कहा हो तुम लौट आओ किसी रोज 
#शायरी #shayari
rakeshkumar4933

Rakesh Aryan

New Creator