भारतीय संस्कृति का संरक्षण कर उसे बढ़ावा देना भारत में नागरिकों का मौलिक कर्तव्य भाषा भारत की विविध संस्कृति का अभूतपूर्व अंग है जब जहां संभव हो वृत्त भाषा में संवाद के लिए पहले कदम बढ़ाना चाहिए इसमें हिचकिचाना नहीं चाहिए क्योंकि भाषा ही हमारी पहचान है आज के विश्व कृति समाज में जहां अंग्रेजी जैसी विश्वव्यापी भाषा आने भी औपचारिक संवाद के लिए जरूरी है वही हम घर घर पर सामान बाकी लोगों से बात करते हुए आराम से अपनी मृत भाषा में बात कर सकते हैं इसमें अपनापन भी लगता है और भारत के गौरवशाली संस्कृति की झलक दिखती है आजकल शहरों में बड़े बूढ़े भी चाहते हैं कि नई पीढ़ी अंग्रेजी सीखे इस पर व आधुनिक समझते हैं जबकि ऐसा नहीं है छोटे बच्चों से मृत भाषा में बात करनी चाहिए मैं तो भाषा में बात समझना आसान होता है राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस स्थिति का जिक्र है कि बच्चों में भाषाओं को समझने के लिए सबसे अधिक बौद्धिक क्षमता होती है ©Ek villain #संस्कृत का अभूतपूर्व अंग है भाषा #selflove