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नहीं बनता ईंट पत्थरों से केवल, परिवार का साथ जरुर

 नहीं बनता ईंट पत्थरों से केवल,
परिवार का साथ जरुरी है..!

खुशियों का घर अधूरा वहाँ,
एहसासों की जहाँ अँधेरी है..!

उचित व्यवहार बड़ों का आदर सत्कार,
शब्दों के संसार में संस्कार की हुज़ूरी है..!

अपनेपन का आकाश वहीं,
जमीं जज़्बातों की जहाँ बहुतेरी है..!

अपशब्दों का प्रहार जहाँ,
प्रलय ने जल्द ही जीवनशैली घेरी है..!

मायाजाल है सब कर्मों का हाल है,
आज मेरी तो कल बारी तेरी है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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