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तुम्हारे नाम की एक चिट्ठी लिख रहा हूं कलम की जगह प

तुम्हारे नाम की एक चिट्ठी लिख रहा हूं
कलम की जगह पेंसिल चुन रहा हूं
मेरी गलतियां मिटाकर तुम माफ करती हो
बच्चे सा दिल है मेरा साफ कहती हों...

मेरी लिखावट में छलकते हैं तेरे काले काजल
सफेद पन्नों की तरह तेरी सादगी के बादल
डालूंगा जज्बातों को भर दूंगा एहसासों को
जो लबों पर हंसी के साथ उड़ाएंगे आंचल

अब आगे मैं चुप हूं ना तुम कुछ बताना
लफ्ज़ों के पीछे पर्दों को धीरे से हटाना
धड़कन की रफ्तार भेज नहीं सकता
तेरे अंदर जो धड़क रहा है वह कैसा है बताना..।

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #चिठ्ठी