मैं मूरत हो जाऊं जिस मंदिर की तुम उसका कोई कपाट बनो मैं होऊं शाम बनारस की तुम गंगा आरती घाट बनो Read in caption 👇👇 मैं कोई किनारा हो जाऊँ तुम बनकर नदी कोई बहना जब डूबूँ साँझ को सूरज सा तुम मेरी लाली में रहना मैं कोई गोताखोर बनूँ तुम सिक्का एक का हो जाना जब बहूँ किसी पुरवाई सा