Alone कभी जाते हैं भटक इस कदर अपने ही गांव अपने ही शहर... के जाने पहचाने रास्ते भी हमको लगते हैं जैसे कोई अंजान डगर... हजारों होते हैं नजारे सामने आंखों के मगर रहती हैं बस इक कतरे पर नजर... निकलते हैं शाम को ढलते देखने के लिए रात का हाल पूछने में जाने कब हो जाती हैं सहर... रखते हैं दुनियाभर की खबरें उगलियों पर रहती नही खुद ही को खुद ही की खबर... कभी जाते हैं भटक इस कदर अपने ही गांव अपने ही शहर ©Anamika Khare दर बदर... #alone