दिनभर का शोरगुल, दिलों-ज़हन से छूमंतर कर देता है। मेरी तमाम कहानियां, ज़िंदगी कि सबसे छुपा लेता है। ये चांद बड़ा बातूनी है, मुझे रोज़ छत पर बुला लेता है। नटखट तो इतना है, कि कभी न आकर सज़ा देता है। और प्यारा इतना है कि, कभी बुलाकर रुला देता है। ये चांद बड़ा बातूनी है, मुझे रोज़ छत पर बुला लेता है। कभी ज़ख्मों का मरहम, तो कभी यादों का दर्द देता है। कभी मेरी सुन लेता है, कभी दूसरों की सुना देता है। ये चांद बड़ा बातूनी है, मुझे रोज़ छत पर बुला लेता है। कई राज खुद मे समेटे हुए है। #chand #random #Kavy_KY