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कभी बारीश की बुंदे समेट कर देखो, जितनी तुम समेट पा

कभी बारीश की बुंदे समेट कर देखो,
जितनी तुम समेट पाओ,उतना प्यार तुम हमे करते हो 

जितनी बुंदे तुम से छुट जाऐ,उतना प्यार हम तुमसे करते हैं,,
कभी बारीश की बुंदे समेट कर देखो,
जितनी तुम समेट पाओ,उतना प्यार तुम हमे करते हो 

जितनी बुंदे तुम से छुट जाऐ,उतना प्यार हम तुमसे करते हैं,,