फ़िज़ूल है अब ये नाराज़गी पत्थर से कांच ही कर बैठा था दोस्ती पत्थर से माज़ी में तुम अगर जाओगे तो जानोगे सबसे पहले आग जलायी थी पत्थर से ये दिल पत्थर यूँ ही नहीं हुआ है मेरा दरअसल मुहब्बत कर ली थी पत्थर से #HindShayri #Shayri #UrduShyri #Patthar