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जाना पहचाना सा वो चेहरा, अब धुँधला नज़र आने लगा है.

जाना पहचाना सा वो चेहरा,
अब धुँधला नज़र आने लगा है..!

मेरे प्रेम को ठुकरा कर जो,
किसी और को चाहने लगा है..!

आईना समझ कर तोड़ा गया,
मुझे बार बार यूँ ही..!

सच का समाचार यूँ ख़ूब प्रचार,
प्रसिद्ध अख़बारों में लिखाने लगा है..!

किस हद तक चाहते थे कभी वो,
आजकल अपनी औकात दिखाने लगा है..!

हमसे सीख कर आगे बढ़ने वाला,
अब हमें ही सिखाने लगा है..!

सूरत से साँवले रहे हम थोड़े,
गोरा चहेरा किसी और का उन्हें भाने लगा है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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