छत्तीसगढ़ी गीत पतझड़ के फूल पतझड़ के फूल अमराइयाँ म फुले, बईठे चिरइया डाली म झूले, महकत हे पुरवईया सांसां म घुले, मनमोहनी काया आंखी म खुले ।। 2 ।। अब के बरस तोर मोर मुलाकात होही, तब पतझड़ के मौसम म भी फूल खिलही, अपन प्रेम के रंग म रंग देबे तैं मोला वो, बांध लुहुं तोला मैं अपन मया के डोरी वो ।। 2 ।। पतझड़ के फूल अमराइयाँ म फुले, बईठे चिरइया डाली म झूले, महकत हे पुरवईया सांसां म घुले, मनमोहनी काया आंखी म खुले ।। पतझड़ के मौसम म दिल ल कतका सकून मिलत हे, डाली ले टूटत हर पत्ता म जो चेहरा तोर दिखत हे. सम्भाल ज़रा तोर गेसू आज भारी बलखावत हे, खिज़ा के बहाना धरके देख कईसे बहार आवत हे ।। 2 ।। पतझड़ के फूल अमराइयाँ म फुले, बईठे चिरइया डाली म झूले, महकत हे पुरवईया सांसां म घुले, मनमोहनी काया आंखी म खुले ।। 2 ।। सु मधुर छत्तीसगढ़ी गीत #पतझड़ के #फूल #अमराइयाँ म फुले, बईठे #चिरइया #डाली म झूले, #yqquotes #JAINESH_KUMAR #poetry