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एक स्ट्रांग विचार जब आपके अंदर पलता है तो वह आपकी

एक स्ट्रांग विचार जब आपके अंदर पलता है
तो वह आपकी पूरी शक्ति खींच लेता है
और उसके प्रति कर्म कराने को मजबूर करता है 
जब उससे भावनाएं भी जुड़ जाती हैं
तो उस विचार में और ऊर्जा आ जाती है कौन सा विचार आपका ध्यान खींचता है बार-बार
उसी विचार पर ध्यान जाता है और वह विचार आपके अंतर्मन में घूमता ही रहता है और कई बार तो उस विचार में इतनी उर्जा आ जाती है कि वह हमें हतोत्साहित कर देता है कर्म करने के लिए

और हम बुद्धि विवेक का इस्तेमाल ना कर
कर बह जाते हैं उस विचार में

भावनाएं तो बेवकूफ होती हैं
और भावनाओं की उर्जा भी उच्च की होती है
एक स्ट्रांग विचार जब आपके अंदर पलता है
तो वह आपकी पूरी शक्ति खींच लेता है
और उसके प्रति कर्म कराने को मजबूर करता है 
जब उससे भावनाएं भी जुड़ जाती हैं
तो उस विचार में और ऊर्जा आ जाती है कौन सा विचार आपका ध्यान खींचता है बार-बार
उसी विचार पर ध्यान जाता है और वह विचार आपके अंतर्मन में घूमता ही रहता है और कई बार तो उस विचार में इतनी उर्जा आ जाती है कि वह हमें हतोत्साहित कर देता है कर्म करने के लिए

और हम बुद्धि विवेक का इस्तेमाल ना कर
कर बह जाते हैं उस विचार में

भावनाएं तो बेवकूफ होती हैं
और भावनाओं की उर्जा भी उच्च की होती है
vandana6771

Vandana

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