कुछ 'कही' गयी सा मै हूं और कुछ 'अनकही' इस धुंध सी मेरे आस पास छायी रहती है मेरे चारों तरफ मुझे घेरे और हर कदम मेरे साथ चलती है मेरे साथ- साथ आगे बढ़ती है और मैं बस खुद को देख पाता हूँ इस 'अनकही' में मैं तुमको कहीं नहीं ©Pramod Pandey #कही-अनकही