गली और बाज़ार में देखा, सत्संग के पंडाल में देखा। जाकर के शमशान में देखा, मस्जिद और मजार में देखा।१। घाट घाट और मंदिर मस्ज़िद, बता सका न कोई भी हाफ़िज़। सुकूँ कहीं भी मिल न सका, घूम घूम संसार में देखा।२। चर्च और गुरुद्वारा घूमा, कहांँ कहांँ मैं नहीं ढूंँढा। थक हार के बैठ गया तब, सुकूँ कहीं भी नहीं मिला जब।३। "मन" ने मन की बात बताई, सुन लो बंधु सुन लो भाई। दुनिया मेरी बदल गई तब, जब अन्तस झांँक के देखा।४। #repost #yqdidi #yqhindi #शांतिकीखोज #बुद्धपूर्णिमा मन की शांति #मौर्यवंशी_मनीष_मन #कविता_मन #गली_और_बाजार