इश्क़ की राहों में हमने कमाया नाम बहुत लेकिन मेरे हिस्से भी आया था इल्जाम बहुत मुझको भी मालूम है कैसे होते हैं ये आशिक हमने भी तो काटी है तन्हाई में शाम बहुत जब भी मुझे जरूरत हो ताने ही बस देते हैं वही लोग जिनको मैं आता रहता हूं काम बहुत सौदा नहीं किया हमने गुरबत में काट दी ज़िन्दगी मिल रहे थे मेरे भी ज़मीर के साहब दाम बहुत इज्ज़त करना तलवार की भी जायज़ है लेकिन सुई भी कर जाती है कभी-कभी काम बहुत बात मेरी मानो महबूब तुम खुद को इस लायक करो मुंह घुमाने वाले भी तुम्हें करने लगें सलाम बहुत #तन्हाई #कमाया #इल्जाम #शाम #गुरबत #तलवार #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob