सौंधी सी वो मिट्टी की खुशबू मिलती गाँव की गलियों में, खो गया सारा चैन व सुकून , इन शहरों की रंगरलियों में, भूले है पूर्वजों की धरोहर को,भूले है आज उनके त्याग को, उपदेश समझ वो ज्ञान की बातें उड़ा देते मात्र खिल्लियों में, वो सौष्ठव वो शलंघ्नीय सम प्रयास जो बनाया आज हमे योग्य, निशिदिन करते कर्मभक्ति तो फ़लती फूलती सम कलियों में।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 146 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।