#OpenPoetry For dedicated to all the girls by her father माँ के आँचल में पली थी। पापा की गोद में खेली थी।। वो नन्ही सी परी थी जो मेरे आँगन में पली थी। हाथ थाम कर चली थी, कभी गिर कर रोई भी थी।। वो नन्ही सी परी थी जो मेरे आँगन में पली थी। जब चलना सिख गई तो, भाग कर आँगन में खेली थी।। वो नन्ही सी परी थी जो मेरे आँगन में पली थी। उसके चेहरें से रौनकें हो चली थी।। वो मेरी बेटी थी, जिसके होने से हर खुशी घर आ चली थी।। वो नन्ही सी परी थी, जो मेरे आँगन में पली थी। #Dedicated to all #daughter's..