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मैं लिख पाऊं कुछ तो, मैं खुद को लिखूंगा.. खुद के

मैं लिख पाऊं कुछ तो,
मैं खुद को लिखूंगा..

खुद के हिस्से का,
दर्द, ग़म सब लिखूंगा..

वो मायूसी भरे दिन,
वो रोती हुई रातें लिखूंगा..

कुछ ख़्वाब अधूरे,
कुछ शिकायते लिखूंगा..

कुछ शोर अपना,
कुछ सन्नाटे लिखूंगा..

सबसे दूर,
खुद के करीब लिखूंगा..

मैं खुद को,
बदनसीब लिखुंगा..

लिखुंगा मैं खुद को खुली किताब में,
फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...

©Ajay Bhan Patel
  #kitaab  shayari love

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