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बात-बात पर मुस्काते हो बात-बात

बात-बात पर मुस्काते हो
                   बात-बात पर इठलाते हो
मुझे पता है मेरे साथी
                      तुम पग-पग पर छले गए हो

वो वक्त मुझे मालूम है जब
                      तुम प्रेम बांटते फिरते थे
लहरों की आवारी बन जब
                 यायावर सा फिरते थे
पर आज अचानक रुका देख
                   ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
घाव नही दीखते है पर
तुम बाणों से बिंधे हुए हो

अपनी जिद की ना-हद तक तुम
                         तीखे प्रतिवाद कराते थे
लेकिन रिश्तों की वीरुध पर
                       तुम किसलय सा हो जाते थे
पर आज अचानक मौन देख 
                       ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जुड़े-जुड़े से लगते हो पर
तुम भीतर से टुटे हुए हो

उसके सपने उसकी खुशियाँ
                          सब  अपने तुमको लगते थे
उसकी पीड़ा और जख्मो को
                            अपने अश्को से चखते थे
पर आज अचानक किये आह! तो
                    प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जिये-जिये से लगते हो पर
तुम भीतर से मरे हुए हो #DCF
बात-बात पर मुस्काते हो
                   बात-बात पर इठलाते हो
मुझे पता है मेरे साथी
                      तुम पग-पग पर छले गए हो

वो वक्त मुझे मालूम है जब
                      तुम प्रेम बांटते फिरते थे
लहरों की आवारी बन जब
                 यायावर सा फिरते थे
पर आज अचानक रुका देख
                   ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
घाव नही दीखते है पर
तुम बाणों से बिंधे हुए हो

अपनी जिद की ना-हद तक तुम
                         तीखे प्रतिवाद कराते थे
लेकिन रिश्तों की वीरुध पर
                       तुम किसलय सा हो जाते थे
पर आज अचानक मौन देख 
                       ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जुड़े-जुड़े से लगते हो पर
तुम भीतर से टुटे हुए हो

उसके सपने उसकी खुशियाँ
                          सब  अपने तुमको लगते थे
उसकी पीड़ा और जख्मो को
                            अपने अश्को से चखते थे
पर आज अचानक किये आह! तो
                    प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जिये-जिये से लगते हो पर
तुम भीतर से मरे हुए हो #DCF