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नमन मंच कविता - अनूठा व्यक्तित्व नारी द्वार

नमन मंच 
कविता - अनूठा  व्यक्तित्व     नारी 
द्वारा-आशा खन्ना 

नारी अनूठा है व्यक्तित्व तुम्हारा 
प्रेम भी तुम्ही हो अराधना तुम्ही से
 रूप भी तुम्ही हो ,श्रृंगार भी तुम्हारा
त्याग भी तुम्ही हो, समर्पण भी तुम्हारा 
नारी अनुठा है व्यक्तित्व तुम्हारा

मां भी तुम्ही हो, ममता भी तुम्ही से 
पत्नी भी तुम्ही हो, प्रियसी भी तुम्ही से
लाडली भी तुम हो, घर में खिलखिलाहट है तुम्हारा
नारी अनूठा है व्यक्तित्व तुम्हारा 

अबला भी तुम्ही हो, शक्ति भी तुम्हीं से
दया की मूरत भी तुम्ही से, लक्ष्मी बाई भी तुम्ही हो 
सन्तती सृजन भी है तुमसे, नेह नीड भी तुम्हारा
नारी अनूठा है व्यक्तित्व तुम्हारा

हर दिवस भी तुमसे, त्यौहार भी तुम्हारे 
प्रकृति भी तुम्ही हो, परिवर्तन भी तुम्हारे
प्रेरणा तुम्ही हो, लक्ष्य भी तुम्हारा
नारी अनुठा है व्यक्तित्व तुम्हारा 

नारी नाम उपासना, हर रूप में जीवान्त तुम्हारा
पथिक भी तुम्ही हो, मन्जिले भी तुम्हारी
न बैठो यूँ निराश होकर, ये संसार है तुम्हारा
नारी अनूठा है व्यक्तित्व तुम्हारा

©Nature Lover Asha Khanna 
  #अनूठा है व्यक्तिव नारी

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