मासूमियत अभी भी महफूज हैं, उस शख्स में जो बेचैन हैं अपने आप को पहली दफा आईने में देखने लिए। कातिल अभी भी छुपना जानता हैं, उस चेहरे के पीछे जो सदियों से इक मजबूत दरख़्त की भांति आंधियों में भी टिका हुआ हैं। डर अभी भी जिंदा हैं, उस मन में जो किसी अनहोनी के चलते बेरहमी से चिता की तरह जल रहा हैं। एक उम्मीद अभी भी बची हुई हैं, उन आंखों में जो बरसों से किसी इंतजार में किसी सूने दरवाजे की ओर ताक रहीं हैं। - मोनिका वर्मा - 19/03/2023 ©Monika verma #तुम_कहां_जिंदा_हो? #तुम_हो? #मासूमियत #walkalone