तिलक धारण एक योग्यता है। बिन योग्यता, कोई इसका अधिकारी नही। इससे मतलब नही। कोई किस जाति का है, किस पृष्ठभूमि का है। जो धारण करने की योग्यता रखे, धारण करे।। जब ये किसी पात्र द्वारा धारण किया जाता है। तब इसका लाभ व महत्व परिलक्षित होता है। जब ये किसी कुपात्र द्वारा, महज दिखावे व सौन्दर्यवृद्धि हेतु धारण किया जाता है। ये अपमानित होता है। तिलकधारण श्रंगार नही है।। यह चेतनाकेंद्र के चैतन्य होने का प्रमाण है।। ©Kaushal Kumar #तिलक