तेरा यूँ ख्वाबों में आना फ़कत इतेफा़क समझूं या मेरी किस्मत ख्वाब ही सही पर जीने की तिश्नगी बढ़ चुकी है मेरी... खुदा का अशफ़ाक़ समझूं या तेरी रहम़त???