#इच्छामृत्यु सुनो! वो पटरियों पर सोने नही आये थे। वो हताश थे, निराश थे तुम्हारे फैसलों से लेकिन वो तुम्हारे दरवाजे पे रोने नही आये थे। चेहरे उदास थे उनके और पैरो में जूते नही थे, आँखे पथराई थी उनकी ,लेकिन हांथो में पत्थर नही थे वो भूंखे थे ,प्यासे थे परेशान थे वो, लेकिन ये दर्द वो तुमसे बताने नही आये थे। बड़े आराम से तुमने तो कह दिया वो पटरियों पर सोने चले आये थे वो हर पल मर रहे थे,इसलिए मरने चले आये थे कान खोल कर सुनो लो, खबर बेचने वालों, वो अधमरे लोग, पटरियों पर सोने नही आये थे। उनकी आंखों में बूढ़ी अम्मा को देखने की चाहत थी द्वारे पर बैठी बीबी को चूमने की चाहत थी उन्हें बेटों को बॉटनी थी शहर से लाई टॉफियां बिटिया को देनी थी पढ़ने को नई कापियां एक आदेश पर तुम्हारे, वो उनकी छोटी सी दुनिया का टूटा हुआ आसमान तुम्हे दिखाने नही आये थे। वो इतने बिखरे हुए लोग थे कि मरने चले आये थे कान खोल कर सुनो लो, ऐ खबर बेचने वालों, वो अधमरे लोग, पटरियों पर सोने नही आये थे #Night