जब भी वक़्त मिले तो ख़ुद को ख़ुद से मिलाना | अगर वक़्त मिले तो क़बर पर जाना किसकी क्या फरियाद है बता के आना| जब भी वक़्त मिले तो वक़्त क्या है?,इसकी ताबीर समझना वक़्त की भिनी, घनी तासीर परखना| ये वक़्त अपने ही पहियों का ग़ुलाम है ना रुकता, ना थमता, बे-लगाम है| जो अडीग- निडर होकर सह जाए, वक़्त की पाबंदी,बुलंदी और लगाम उसके हाथ | जो सहम-डर कर बह जाए, वक़्त की गहरी अविस्मरणीय सिख उसके साथ | ©Shayeesta Hasnain Time waits for none🌤#respecttime #standAlone #SelfReminder #writeraofindia #writeaway #nojoto❤ #standAlone