एक अरसा वो नूर-ऐ-महताब का था पर अब लफ्ज़ नहीं है उन यादों को जवां करने के लिए....... यहां मौत-ऐ-दिल की अब बातें नहीं होती लगता है फिर दिल तोड़ना पड़ेगा मोहब्ब्त बयां करने के लिए....... ©Dikshita Khund #Fire #Shayar #shayri #Poet #poem #Dikshita