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इश्क़ भी शायद तभी से शुरू हुआ हिंदी से मेरा..! ❤ (प

इश्क़ भी शायद तभी से शुरू हुआ हिंदी से मेरा..!
❤
(पढ़िए कैप्शन में..!) मुझे याद है जब मैं स्नातक की छात्रा थी जी.एस. कॉमर्स कॉलेज में, और जमनालाल बजाज वाद-विवाद प्रतियोगिता होती थी जिसमें देश भर से अँग्रेज़ी और हिंदी के वक्ता इकट्ठा होते थे । अँग्रेज़ी वाले तो ठीक, वही कोट-पैंट टाई लटकाए जो हर कहीं देखने मिल जाते लेकिन हिंदी वक्ता तो जैसे उस समय भी खादी वस्त्र और मोदी जैकेट और कोई-कोई तो धोती भी, और दक्षिण भारतीय तो अपने भारतीय परिधान और आभूषणों में होते थे, देखकर इतनी ठंडक मिलती न आँखों को कि क्या बताएँ!....और ऊपर से वह जनवरी-फरवरी की ठंड... हॉल बहुत बड़ा था मगर ठंडा
इश्क़ भी शायद तभी से शुरू हुआ हिंदी से मेरा..!
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(पढ़िए कैप्शन में..!) मुझे याद है जब मैं स्नातक की छात्रा थी जी.एस. कॉमर्स कॉलेज में, और जमनालाल बजाज वाद-विवाद प्रतियोगिता होती थी जिसमें देश भर से अँग्रेज़ी और हिंदी के वक्ता इकट्ठा होते थे । अँग्रेज़ी वाले तो ठीक, वही कोट-पैंट टाई लटकाए जो हर कहीं देखने मिल जाते लेकिन हिंदी वक्ता तो जैसे उस समय भी खादी वस्त्र और मोदी जैकेट और कोई-कोई तो धोती भी, और दक्षिण भारतीय तो अपने भारतीय परिधान और आभूषणों में होते थे, देखकर इतनी ठंडक मिलती न आँखों को कि क्या बताएँ!....और ऊपर से वह जनवरी-फरवरी की ठंड... हॉल बहुत बड़ा था मगर ठंडा