आपने मुझे आश्रय का आश्वाशन दिया बाबा,शुक्रिया अब जाकर हृदय को खुलने की अनुमति दे रहा हूँ, सुरक्षित स्थान के अभाव में,विश्वासपात्र ना मिलने पर, लंबे अंतराल से हृदय को संकुचित कर श्वाश ले रहा हूँ, हृदय को यूँ खोलते ही नया किरदार बाहर आएगा, स्वयं अचरज हो सकता है मुझे इससे,संदेश दे रहा हूँ, परंतु पीड़ा रहित हो गया हूं,अंतर्मन स्थिर हो रहा है, आपके फरिश्तों ही निमित्त बने,जो आनंद ले रहा हूँ #yqdidi #हिंदी_साहित्य #संकुचित #हृदय_कि_बात_हृदय_से #प्रभु_की_लीलाएं