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भागते बादलों के लिए __________________________ लो

भागते बादलों के लिए 
__________________________
लोग कहते हैं कि 
अभी मानसून
 नहीं आया  !  
कुदरत को इस 
काबिल हम सबने 
मिलकर बनाया है !
छीन ली प्रकृति
 की हरियाली इंसानी
जरूरतों ने ,
इसीलिए मची हुयी है
हर तरफ हाय हाय,
बर्षा विहीन  
खाली पड़े मेघों 
को इंसानी भूख 
चिल्लाहट आर्त पुकारें 
कहाँ से सुनाईं पड़े !
फिर भी जिद नहीं
छोड़ रहे टोने - टोटके से
 बुलाना चाहते है
 इस ग्रीष्मता में मेघो 
को जो अपनी विलक्षण
 अर्द्धर्ता को साथ 
लिए एक विशाल
 पराक्रम के साथ बढ़ा 
चला जा रहा खार,
थार,मरुथल की ओर..........
उमड़ते -घुमड़ते 
काले बादलों को 
हम सभी की 
करुण वेदना 
का एहसास कराने
 के लिए खेत खलिहानों ,
फटती धरती
 का सीना जार -जार
होती प्रकृति की देवी
 को खुस करके ही
 इन्द्र देव की कृपा 
को पाया जा सकता है !
पर्यावरणीय शिक्षाविदों 
का मानना है 
कि प्रकृति को भू -संतति
के अनुरूप बनाये 
रखने के लिए
 हरियाली पर्यावरण
 को बॅलेन्स बनाये
 रखना वेहद जरूरी है !
यह सिर्फ चिंता
 बिषय ही नहीं अपितु
दूरगामी सोच 
का प्रति फल होगा !
टोटके नहीं अपितु
 पर्यावरण हरियाली
 को कायम रखना 
जरूरी है इसलिए 
कमसे कम हर 
मेघ ऋतू  में 
एक पेड़ अवस्य लगाएं ! 

# करन त्रिपाठी #
१३-जुलाई २०१४ # nojoto #विचार
भागते बादलों के लिए 
__________________________
लोग कहते हैं कि 
अभी मानसून
 नहीं आया  !  
कुदरत को इस 
काबिल हम सबने 
मिलकर बनाया है !
छीन ली प्रकृति
 की हरियाली इंसानी
जरूरतों ने ,
इसीलिए मची हुयी है
हर तरफ हाय हाय,
बर्षा विहीन  
खाली पड़े मेघों 
को इंसानी भूख 
चिल्लाहट आर्त पुकारें 
कहाँ से सुनाईं पड़े !
फिर भी जिद नहीं
छोड़ रहे टोने - टोटके से
 बुलाना चाहते है
 इस ग्रीष्मता में मेघो 
को जो अपनी विलक्षण
 अर्द्धर्ता को साथ 
लिए एक विशाल
 पराक्रम के साथ बढ़ा 
चला जा रहा खार,
थार,मरुथल की ओर..........
उमड़ते -घुमड़ते 
काले बादलों को 
हम सभी की 
करुण वेदना 
का एहसास कराने
 के लिए खेत खलिहानों ,
फटती धरती
 का सीना जार -जार
होती प्रकृति की देवी
 को खुस करके ही
 इन्द्र देव की कृपा 
को पाया जा सकता है !
पर्यावरणीय शिक्षाविदों 
का मानना है 
कि प्रकृति को भू -संतति
के अनुरूप बनाये 
रखने के लिए
 हरियाली पर्यावरण
 को बॅलेन्स बनाये
 रखना वेहद जरूरी है !
यह सिर्फ चिंता
 बिषय ही नहीं अपितु
दूरगामी सोच 
का प्रति फल होगा !
टोटके नहीं अपितु
 पर्यावरण हरियाली
 को कायम रखना 
जरूरी है इसलिए 
कमसे कम हर 
मेघ ऋतू  में 
एक पेड़ अवस्य लगाएं ! 

# करन त्रिपाठी #
१३-जुलाई २०१४ # nojoto #विचार