मगरूर हो गुरूर में, क्यूँ चूर हो इस सुरूर में. वक़्त है कम्बखत बदलेगा, उस दिन एक पल भी न देगा. किस उलझन में उलझे हो, आओ बात कर सुलझाते हैं. बेतुकी लगती ये दूरियाँ हैं, इन दूरियों को आओ मिटाते हैं. कुछ दुखती बातें ही तो हैं, चलो न भूल जाते हैं. बात करने से ही उलझनें सुलझती हैं। #उलझन #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #hindipoetry #yqbaba #februaryemotions #vineetvicky