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आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं,

आच्छादित उद्वेलित जग..
भंवर से पार नव उद्गार होऊं,
परिलक्षित प्रहरी बन यह 
तन छोड़, जग के पार होऊं,

कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, 
सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं,
ले लगत लागत है अपरिहार्य... 
लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग..
भंवर से पार नव उद्गार होऊं,
परिलक्षित प्रहरी बन यह 
तन छोड़, जग के पार होऊं,

कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, 
सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं,
ले लगत लागत है अपरिहार्य...
आच्छादित उद्वेलित जग..
भंवर से पार नव उद्गार होऊं,
परिलक्षित प्रहरी बन यह 
तन छोड़, जग के पार होऊं,

कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, 
सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं,
ले लगत लागत है अपरिहार्य... 
लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग..
भंवर से पार नव उद्गार होऊं,
परिलक्षित प्रहरी बन यह 
तन छोड़, जग के पार होऊं,

कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, 
सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं,
ले लगत लागत है अपरिहार्य...
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